Description
‘गजड़गुच्छ’ एक सौ पन्द्रह गजरों (बघेली गजलों) का गुच्छा (स्तवक) है। गजरा (पुष्पहार) को बघेली में गजड़ा कहते हैं। गजरा कलाई में, अलकों के जूड़े में तथा गले में पहना जाता है। इसी दृष्टि से इस स्तवक में छोटे, मझोले तथा बड़े गजरे रखे गए हैं; जिस प्रकार ग़जल में तीनों प्रकार की बहरें होती हैं। कुछ गजरे एक प्रकार के पुष्प से गूँथे गये हैं, जिस प्रकार से कुछ गजलों के सभी शेर एक ही विषय पर केंद्रित होते हैं, जबकि कुछ गजरे एक ही आकार के नाना-भाँति के पुष्पों से गूँथे गए हैं जैसे कुछ गजलों के अलग-अलग शेर अलग-अलग विषयों पर केंद्रित होते हैं।
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