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Original price was: ₹395.00.₹356.00Current price is: ₹356.00. incl. GST
Looking for coupon codes? See ongoing discounts‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम ग्रंथमाला’ की इस चौथी पुस्तक के लेखन में डॉ. रासबिहारी दत्त की यह कोशिश रही है कि यूनानी दर्शन की कहानी वहाँ के दर्शनशास्त्रियों और उनके कुछ सर्वश्रेष्ठ टीकाकारों के शब्दों में ही इस प्रकार प्रस्तुत की जाए कि प्राचीन यूनान में दर्शन की स्थिति की एक सटीक तस्वीर अपनी पूरी विविधता और समृद्धि के साथ सामने आ सके। कहना न होगा कि यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसने इस पुस्तक को स्वयं यूनानी दर्शनशास्त्रियों द्वारा अभिव्यक्त यूनानी जीवन-दर्शन की वैज्ञानिक विवेचनाओं का संग्रह बना दिया है। इस प्रयोग से यह पुस्तक न केवल अधिक प्रामाणिक, रोचक और पठनीय हो गई है बल्कि इससे पाठकों को दर्शन की अपनी समझ विकसित करने में भी सहायता मिलेगी। छठी शताब्दी ई.पू. के दर्शनशास्त्री थेल्स और उनके उत्तराधिकारियों ने यूनान में जिस दार्शनिक परंपरा को जन्म दिया, वह यूरोप के इतिहास में एक युगांतर उपस्थित करनेवाली घटना है। इसका कारण यह है कि यूनान के इन दर्शनशास्त्रियों को यूरोप की सांस्कृतिक परंपरा में प्राचीनतम वैज्ञानिक भी माना जाता है। प्रस्तुत पुस्तक में इन दर्शनशास्त्रियों से आरंभ करके अरस्तू तक लगभग ढाई शताब्दियों के दार्शनिक इतिहास का लेखा-जोखा दिया गया है।
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Weight | 100 g |
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Dimensions | 22 × 15 × 1 cm |
Book Author | |
Publisher | |
Language | |
Pages | 100 |
Binding | |
Condition |
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