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Vichar Ka Aina : Kala Sahitya Sanskriti : Jaishankar Prasad by JAISHANKAR PRASAD, Ed. Subodh Shukla, Series Ed. Badari Narayan

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विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है।   

आधुनिक हिन्दी साहित्य के शुरुआती निर्माताओं में से एक जयशंकर प्रसाद भारतीय संस्कृति के मूल्यवान तत्वों को साहित्य में पुनर्स्थापित करने वाले लेखक-चिन्तक हैं। उन्होंने दिखाया कि साहित्य इस बात के लिए पूरी तरह से तैयार है कि वह दर्शन की गहराइयों को अपने भीतर जगह दे। उन्होंने इतिहास के नायकों को अपना साहित्य नायक बनाया और परम्परा से निरन्तर संवादरत रहे लेकिन वे अतीतजीवी नहीं थे। आज जब राजनीतिक पूर्वाग्रहों से लैस होकर इतिहास का उत्खनन किया जा रहा है ऐसे में हमें उम्मीद है कि उनके प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब उस धुन्ध को साफ करने में हमारी मदद करेगी जिसकी गिरफ्त में इतिहास और वर्तमान दोनों ही डूबे हुए हैं।

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Weight 159 g
Dimensions 22 × 14 × 1 cm
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168

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