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VED GYAN AUR VIGYAN (वेद, ज्ञान और विज्ञान)

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संपूर्ण विश्व में सर्वोच्च, एकमात्र धर्म के रूप में जिसका प्रचलन है और जो संपूर्ण धार्मिक मान्यताओं का मूलाधार है वह सिर्फ इस भरतखंड का अभिन्न अंग ‘वैदिक धर्म’ है।
अणुविद्युतशास्त्र इंजीनियरिंग की मास्टर्स डिग्री लेने के बाद नौकरी के साथ सामाजिक कार्य भी चलता रहा। रा.स्व. से. संघ के एकल विद्यालय फाऊंडेशन और धर्मजागरण इन आयामों में कार्य करने का मौका मिला। धर्मजागरण का कार्य करते वक्त बहुत ही विचित्र और विकट अनुभव आते गए। वैदिक धर्म के अपप्रचार और देवी-देवताओं पर जताई गई शंका से मन आहत हुआ । बहुतांश प्रश्न जो समक्ष आते गए वे अनुत्तरीत और भ्रम पैदा करने वाले थे और यही वजह थी की इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए वेद, पुराण, उपनिषद, मनुस्मृति, बाइबल, कुरान सबको पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। वेदों को पढ़ना आसान नही था। लेकिन एक मंडल ‘अध्याय’ की कुछ ऋचाओं को पढ़कर हमें उनमें स्थित तथ्य एवं आशय उजागर हो जाते है। इसी के आधार पर सारे अनुत्तरीत, भ्रम पैदा करने वाले प्रश्नों के उत्तरों की खोज हुई। उन पर अनुसंधान हुआ और सौ प्रतिशत सफलता हासिल हुई। इसी कारण यह बात स्पष्ट हो गई की संपूर्ण विश्व में सिर्फ वैदिक धर्म ही है जो धर्म की संपूर्ण व्याख्या बताता है।
अणुविद्युतशास्त्र के अभ्यास के कारण वेदों को पढ़ते वक्त चारो वेदों में स्थित ज्ञान में विज्ञान नजर आया। इनमें जीवन से जुड़े विविध सूक्ष्म पहलुओं का विज्ञान सिर्फ और सिर्फ मानवतावाद और सृष्टि के सुव्यवस्थित संचालन हेतु हुआ है यह स्पष्टता से जान पड़ता है।

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संपूर्ण विश्व में सर्वोच्च, एकमात्र धर्म के रूप में जिसका प्रचलन है और जो संपूर्ण धार्मिक मान्यताओं का मूलाधार है वह सिर्फ इस भरतखंड का अभिन्न अंग ‘वैदिक धर्म’ है।
अणुविद्युतशास्त्र इंजीनियरिंग की मास्टर्स डिग्री लेने के बाद नौकरी के साथ सामाजिक कार्य भी चलता रहा। रा.स्व. से. संघ के एकल विद्यालय फाऊंडेशन और धर्मजागरण इन आयामों में कार्य करने का मौका मिला। धर्मजागरण का कार्य करते वक्त बहुत ही विचित्र और विकट अनुभव आते गए। वैदिक धर्म के अपप्रचार और देवी-देवताओं पर जताई गई शंका से मन आहत हुआ । बहुतांश प्रश्न जो समक्ष आते गए वे अनुत्तरीत और भ्रम पैदा करने वाले थे और यही वजह थी की इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए वेद, पुराण, उपनिषद, मनुस्मृति, बाइबल, कुरान सबको पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। वेदों को पढ़ना आसान नही था। लेकिन एक मंडल ‘अध्याय’ की कुछ ऋचाओं को पढ़कर हमें उनमें स्थित तथ्य एवं आशय उजागर हो जाते है। इसी के आधार पर सारे अनुत्तरीत, भ्रम पैदा करने वाले प्रश्नों के उत्तरों की खोज हुई। उन पर अनुसंधान हुआ और सौ प्रतिशत सफलता हासिल हुई। इसी कारण यह बात स्पष्ट हो गई की संपूर्ण विश्व में सिर्फ वैदिक धर्म ही है जो धर्म की संपूर्ण व्याख्या बताता है।
अणुविद्युतशास्त्र के अभ्यास के कारण वेदों को पढ़ते वक्त चारो वेदों में स्थित ज्ञान में विज्ञान नजर आया। इनमें जीवन से जुड़े विविध सूक्ष्म पहलुओं का विज्ञान सिर्फ और सिर्फ मानवतावाद और सृष्टि के सुव्यवस्थित संचालन हेतु हुआ है यह स्पष्टता से जान पड़ता है।

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