Description
शब्दों की अपनी परम्परा है। शब्दों में रस भरे सुर भी हैं जो हृदय की गहराइयों से निकलते और ज़हन में छा जाते । मोहन जी के शब्द मुझे प्रेरित करते रहे, हर रोज़ कुछ नया लिखने के लिए और मैं बड़े चाव से लिखती और वो ध्यान से सुनते । ‘उर साधना’ का हर शब्द उन्हीं को बहुत प्यार से अर्पित ।
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