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TUM JO NAHI HO (तुम जो नहीं हो)

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सारी चीजों से अपने आप को अलग कर लिया जाए। तो उस वक्त जहन में जो पलता हैं, वही से कविता की शुरूआत होती है। कभी-कभी मन बहुत विचलित रहता हैं, जब कोई हमें गहरी चोट देता है। वहाँ चिन्तन करने से एक दुनिया प्रारंभ होती है, जो नारियल की तरह होती है। ऊपर से कठोर और अन्दर से नाजुक जिसे कविता कहते है।
अनेको प्रश्न या ख्यालातों की दुनिया को सुलझाना है तो उसे कागज पर उतारो अनायास ही दिल को छूने वाली पंक्तियाँ उत्पन्न हो जाती है, जिसे लोग कविता नाम दे देते है।
एक दिन आँगन में अकेली बैठी थी तभी आसमान में उड़ते हुए कबूतर को देखा तो दिल ने कहा कि बस इन्हें अपने पास सजों के रखलो और कलम उठा कर पन्ने पर जो दिल ने कहा उतार दिया। वहाँ मेरी पहली कविता का जन्म हुआ । “कबूतर बन कर मैं उड़ जाती, ।
जिस गाँव में निवास करती हूँ वहाँ के अधिकतर लोग साहित्य से बहुत दूर है, जिस मोहल्ले में रहती हूँ वहाँ के लोग पढ़ाई-लिखाई से बहुत दूर है। इन सबके बीच में रहते हुए दिल से निकली हुई बातों को डायरी के पन्नों पर लिखती गई और देखते ही देखते वह कविताएँ बन गई, मन में विचारों की सुनामी आती थी, और कविताओं का भण्डार दे जाती थी। उस वक्त मेरी मैम डॉ. मन्जुला शर्मा ने मुझे एक डायरी लाकर दी और कहा “कविता लिखना उनका काम है जिनका मन संवेदनशील होता है, जो चीजों को गहराई से महसूस कर सकते है। और ईश्वर ने तुम में वो खूबी दी है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना और हृदय से आशीष है तुम निश्चित ही एक सफल और ईश्वर की सुन्दर रचना बनोगी।”

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सारी चीजों से अपने आप को अलग कर लिया जाए। तो उस वक्त जहन में जो पलता हैं, वही से कविता की शुरूआत होती है। कभी-कभी मन बहुत विचलित रहता हैं, जब कोई हमें गहरी चोट देता है। वहाँ चिन्तन करने से एक दुनिया प्रारंभ होती है, जो नारियल की तरह होती है। ऊपर से कठोर और अन्दर से नाजुक जिसे कविता कहते है।
अनेको प्रश्न या ख्यालातों की दुनिया को सुलझाना है तो उसे कागज पर उतारो अनायास ही दिल को छूने वाली पंक्तियाँ उत्पन्न हो जाती है, जिसे लोग कविता नाम दे देते है।
एक दिन आँगन में अकेली बैठी थी तभी आसमान में उड़ते हुए कबूतर को देखा तो दिल ने कहा कि बस इन्हें अपने पास सजों के रखलो और कलम उठा कर पन्ने पर जो दिल ने कहा उतार दिया। वहाँ मेरी पहली कविता का जन्म हुआ । “कबूतर बन कर मैं उड़ जाती, ।
जिस गाँव में निवास करती हूँ वहाँ के अधिकतर लोग साहित्य से बहुत दूर है, जिस मोहल्ले में रहती हूँ वहाँ के लोग पढ़ाई-लिखाई से बहुत दूर है। इन सबके बीच में रहते हुए दिल से निकली हुई बातों को डायरी के पन्नों पर लिखती गई और देखते ही देखते वह कविताएँ बन गई, मन में विचारों की सुनामी आती थी, और कविताओं का भण्डार दे जाती थी। उस वक्त मेरी मैम डॉ. मन्जुला शर्मा ने मुझे एक डायरी लाकर दी और कहा “कविता लिखना उनका काम है जिनका मन संवेदनशील होता है, जो चीजों को गहराई से महसूस कर सकते है। और ईश्वर ने तुम में वो खूबी दी है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना और हृदय से आशीष है तुम निश्चित ही एक सफल और ईश्वर की सुन्दर रचना बनोगी।”

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