Sale!

SUDHA KALASH (सुधा कलश)

Original price was: ₹175.00.Current price is: ₹158.00. incl. GST

Looking for coupon codes? See ongoing discounts

आज के पाठक के लिए शिक्षादायक, प्रेरक और प्रोत्साहित करने वाली है यह प्रस्तुत – “सुधा कलश” इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के लगभग बीच में सामाजिक मूल्य बिखर रहे हैं। मानवता लुप्तप्राय है। मानव मूल्यों का क्षरण हो चुका है। सुधारवादी दृष्टिकोण एवं नैतिक शिक्षा को नैपथ्य में रखकर “क्षणिकाएँ” प्रस्तुत करना मेरा उद्देश्य है। ये भावनाओं को जागृत कर सहलाती, दुलारती, स्वस्थ समाज की ओर रास्ता दिखाती हैं। एक प्रवाह, एक लय या रवानी एहसास हमें गतिशील समय की धारा में बहा ले जाता है। उक्त क्षणिकाओं एवं सुक्तियों के माध्यम से कवयित्री की सहज, सरल वृत्ति को समझ सकते हैं।
कहा भी गया है कि कठिन लिखना आसान और आसान लेखन बहुत कठिन होता है। जल सी प्रवाहित शैली में मैंने कई गाँठों को खोलने का भरसक प्रयास किया है –
“अपने भावों का गीलापन, पीड़ा का निर्झर अम्लान प्राणों का विनीत स्पन्दन है, मौन साधना जीवन भर की।।”
नैतिक प्रेरक सुक्तियाँ साहित्य गगन में देदीप्यमान उज्ज्वल नक्षत्र के समान है। इनकी आभा देश और काल की संकुचित सीमा पार करके सर्वदा एक समान और एकरस रहने वाली सर्वोच्च अभिन्नदन है। सुक्तियों से जीवन की सच्ची परिस्थितियों का मार्मिक अनुभव मिलता है।

10 in stock

Purchase this product now and earn 1 Reward Point!
Buy Now
SKU: AP-5739 Category: Tag:
Report Abuse

Description

आज के पाठक के लिए शिक्षादायक, प्रेरक और प्रोत्साहित करने वाली है यह प्रस्तुत – “सुधा कलश” इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के लगभग बीच में सामाजिक मूल्य बिखर रहे हैं। मानवता लुप्तप्राय है। मानव मूल्यों का क्षरण हो चुका है। सुधारवादी दृष्टिकोण एवं नैतिक शिक्षा को नैपथ्य में रखकर “क्षणिकाएँ” प्रस्तुत करना मेरा उद्देश्य है। ये भावनाओं को जागृत कर सहलाती, दुलारती, स्वस्थ समाज की ओर रास्ता दिखाती हैं। एक प्रवाह, एक लय या रवानी एहसास हमें गतिशील समय की धारा में बहा ले जाता है। उक्त क्षणिकाओं एवं सुक्तियों के माध्यम से कवयित्री की सहज, सरल वृत्ति को समझ सकते हैं।
कहा भी गया है कि कठिन लिखना आसान और आसान लेखन बहुत कठिन होता है। जल सी प्रवाहित शैली में मैंने कई गाँठों को खोलने का भरसक प्रयास किया है –
“अपने भावों का गीलापन, पीड़ा का निर्झर अम्लान प्राणों का विनीत स्पन्दन है, मौन साधना जीवन भर की।।”
नैतिक प्रेरक सुक्तियाँ साहित्य गगन में देदीप्यमान उज्ज्वल नक्षत्र के समान है। इनकी आभा देश और काल की संकुचित सीमा पार करके सर्वदा एक समान और एकरस रहने वाली सर्वोच्च अभिन्नदन है। सुक्तियों से जीवन की सच्ची परिस्थितियों का मार्मिक अनुभव मिलता है।
सुक्तियों के माध्यम से कोमल अनुभूतियों को शब्दों में गूँथकर, बदलते हुए परिवेश में संवेदन की मणियों को मन के सागर से निकालकर हिन्दी प्रेमियों को समर्पित किया है। आशा करती हूँ मेरे मन की भाषा को समझते हुए भावुकता के मोती चुनकर सुधी पाठक आंनद विभोर हो उठेगे।

Additional information

Language

Publisher

Condition

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

Loading...

Seller Information

Product Enquiry