Description
डॉ. ओम् जोशी द्वारा विरचित ‘सिंह तुल्य ही’ सातवाँ समलंकृत मुक्तक संग्रह अत्यन्त अद्भुत मुक्तक संग्रह है। इस संग्रह के समस्त दो सौ इक्यावन मुक्तक सम्मोहक हैं, अद्भुत हैं, हृदयावर्जक हैं और रमणीय भी। जैसे किसी वन में सिंह सर्वाधिक प्रभावी होता है, बस वैसे ही इस संग्रह के समस्त मुक्तक प्रभावशाली ही हैं। इस संग्रह के समस्त शीर्षक भी आलंकारिक हैं और मनमोहक भी। जैसे सन्त सम समीचीनता, जीवन नभ में, यश की ढपली, मोर समान, कमल तुल्य पुलकित आदि। भारतवर्ष के आदर्श प्राचीन ऋषि, मुनियों द्वारा प्रतिपादित आदर्श वाक्यों, दार्शनिक विचारों, उनके सम्प्रेरक चिन्तन और बोधवचनों का भी इस विशेष मुक्तक संग्रह में पदे पदे समावेश है।
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