Description
दोहा- गीता सार मैं लिख रहा, धर प्रभु का ध्यान। सभी भक्तों को मिल सके, भगवद्गीता का ज्ञान।
श्रीमद्भगवद्गीता परमशक्ति स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण द्वारा
अर्जुन को कुरुक्षेत्र की समर भूमि में दिए गये ज्ञान को सुनाने का गीत
शास्त्र है; जिसकी विषय वस्तु गीतोपनिषद् में अंकित है। यही गीता सार
महाभारत में श्री वेदव्यास जी ने लिखा है।
भारतीय सनातन धर्म का आधार वेद हैं। वेदों का ही ज्ञान ऋषि-मुनियों ने उपनिषदों में समाविष्ट किया है। सभी उपनिषद् संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं, जो वर्तमान में सुगम व्यवहारिक भाषा जन सामान्य के लिए नहीं रह गई है।
सनातन धर्म के दो प्रमुख ग्रन्थ रामायण एवं भगवद्गीता हैं। रामायण के कथानक को श्री तुलसीदास जी ने हिन्दी भाषा के गेय काव्य द्वारा घर-घर में जन-जन तक पहुँचा दिया है, किन्तु भगवद्गीता संस्कृत भाषा में होने के कारण आज भी सामान्य जन-मानस से दूर है। इसके ग्रंथ भी प्रायः सभी घरों में उपलब्ध नहीं है।
यद्यपि भगवद्गीता कई भाषाओं में विद्वानों की सरल हिन्दी टीकाओं सहित प्रकाशित हुई है; जिन्हें सामान्य जन अध्ययन कर चिन्तन-मनन कर सकें, तथापि विषय की गूढ़ता से लोकप्रिय नहीं हो पाई हैं।
श्री कृष्ण चरित्र ‘कृष्णायन’ के नाम से श्री द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारा लिखा गया है।
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