Description
मैं सभी आत्मीयजनों के साथ-साथ अनुराधा प्रकाशन परिवार और इसके मेरुदंड श्रद्धेय श्री मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी के प्रति, जिनका समय-समय पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साहित्य-साधना के पथ पर आगे बढ़ने के लिए मुझे निरंतर असीम स्नेह और सहयोग मिलता रहा, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
उसी सत्प्रयास का मधुर फल हे मेरी कृति साधना के शब्द-पुष्प, जिसका सुगंधित सौंदर्य अवश्य ही सुधी पाठकों के मन को मोहित करने में सफल होगा। इसी अटूट विश्वास के साथ।
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