Description
मैं इस कविता संग्रह में संकलित कविताओं के लिए उन सभी पहलुओं और लोगों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिनसे मैंने इन्हें लिखने की प्रेरणा ली। सबसे पहले समस्त जगत और सभी में व्याप्त ईश्वर का धन्यवाद जिन्होंने इस जीवन को संभव बनाकर मुझे इन पथों पर चलने के लिए प्रेरित किया।
“जीवन संभव न हो पाता गर ईश्वर न करता प्रकृति का निर्माण ।”
जन्म लेने के पश्चात आज तक जिन भी पहलुओं से मैंने प्रेरणा ली उन सभी का सहृदय धन्यवाद। इनमें प्रमुख हैं आसपास की प्रकृति, मेरे सभी गुरु, मेरे माता पिता और मेरे सभी मित्रगण । इन सभी पहलुओं ने मुझे जीवन में इतना जाग्रत और सक्षम बनाया कि मैं अपने रास्तों पर अकेला चल सकूं। संभव न हो पाता सभी के प्रेम बिना, न मैं आता इस धरती पर अपनों के बिना और न ही प्रेरणा पाता अपने जीवन के प्रबुद्ध पथ पर अग्रसर होने के लिए ।
मैं प्रकृति के उन सभी पहलुओं का भी आभार व्यक्त करता हूं जिनसे प्रेरणा लेकर मैंने इस पुस्तक की अनेक कविताएँ लिखीं।
“प्रकृति के हर पहलु से सीखना, जीवन का हर सबक और विज्ञान”
मैं इस पुस्तक के जरिए अपने माता-पिता, अपने गुरूजनों का धन्यवाद भी करना चाहता हूं जिनके आर्शीवाद के बिना जीवन के प्रबुद्ध पथों के रास्ते ना दिखाई देते और यह पुस्तक संभव नहीं हो पाती।
“माता पिता के प्रेम और आर्शीवाद से सभी गुरूजनों की शिक्षा के प्रभाव से प्रकृति के सान्निध्य में मिले ज्ञान से जीवन को नूतन और प्रबुद्ध पथ मिले हैं।”
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