Description
टाट से राममंदिर में रामलला की वापसी कई दिव्य भावों का आभास करा रही थी। प्राण प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा का अनुभव अनूठा था। यह अनुभव कुछ ऐसा था मानों एक माता को अपने शिशु के जन्म की सुखद आशा हो।।मानो जबरन निष्कासन के पश्चात किसी को अपना घर वापस मिल जाए। मानों दीर्घकाल से रुकी हृदय की धड़कन का पुनः स्पंदन होने लगे। अयोध्या से चौदह वर्ष दूर रहकर श्रीराम अपने घर लौटे थे।इन चौदह वर्षों के वनवास के हर वर्ष का अभिनंदन करने की इच्छा जागी अपने शब्दों को पुष्प बनाकर हर दिन एक माला रामलला को पहनाने का संकल्प लिया।
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