Description
‘-इस बार जोर से हँसा गली का डॉगी। हमें हिक़ारत से देखते हुए बोला- तुम आदमियों में यही तो कमी है। आज मैंने भी तुम्हारी नकल मारी होती तो तुम्हारी तरह टकला हो गया होता। दांत गिर गए होते और घुटने जवाब दे गए होते। वो तो कहो ऐन वक्त पर अकल आ गई। आदमी के बीच रहता हूं जरूर, उसकी नकल नहीं मारता। आज देखिए हम डॉगी लोग की हिम्मत शेर को खदेडऩे की साहस भरी कहानियां तुम्हारे ही अखबारों में छप रही हैं। -उसकी बात सुनकर मैं सन्न रह गया तो विषय परिवर्तन करना ही बेहतर समझा। एक नया सवाल दाग दिया- हम तो अपनी आने वाली पीढ़ी को काबिल बनाते हैं, तुमने कभी अपने बच्चों के बारे में सोचा है? इस बार गली के डॉगी ने ऐसा मुंह बनाया, मानो हम आदमियों की बुद्धि पर उसे तरस आ रहा हो।
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