Description
मेरी स्वर्णिम जीवन यात्रा विश्वकीर्तिमानक डॉ. ओम् जोशी की आत्मकथा ‘मेरी स्वर्णिम जीवन यात्रा’ वस्तुतः समुज्ज्वल स्वर्ण जैसी ही स्वर्णिम है। अपने बहत्तर वर्षीय स्वर्णिम जीवन में डॉ. जोशी को संयुक्त परिवार, गोपालन, उत्तमोत्तम गुरुओं, शिक्षकों और प्राद्ध्यापकों के सान्निध्य सहित भारतीय महनीय प्राचीन परम्पराओं, शास्त्र अध्ययन तथा अनुपम शिक्षा के अभिग्रहण, प्रशिक्षण तथा उनके विशिष्ट ‘अनुभव’ जैसे सुअवसर भी मिले। भारतीय संस्कृति, प्राचीन साहित्य, दर्शनशास्त्र, अध्यात्म, ज्योतिष तथा भारतीय शास्त्रीय संगीत को भी हृदयंगम और आत्मसात् करने के भी अकल्पनीय अवसर डॉ. जोशी को हस्तामलक रहे। इस दृष्टि से भी डॉ. जोशी स्वयं को परम सौभाग्यशाली मानते हैं। इन उपर्युक्त सभी सन्दर्भों और प्रसंगों की दृष्टि से भी प्रस्तुत ‘आत्मकथा’ अनुपमेय है और असाधारण भी। रसिक अध्येता और पाठक इसे आद्यन्त पढ़कर ही इसका प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
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