Description
‘मेरे लिये कहानी का सृजन करना अपने मन को सुकून देने जैसे होता है। एक कहानी किसी पात्र की मनोदशा का चित्रण करती है और लिखते समय मैं उस पात्र में अपने आपको समाहित कर लेता हूँ। पात्र जब हँसता है तो मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है और पात्र जब आँसु बहाता है तो मेरी आँखें नम हो जाती है। पात्र के साथ यह ही एकात्मकता ही मेरे सृजन को धरातल से जोड़ती है। मैं “स्वान्ताय सुखाय” की मनोदशा के साथ सृजन करता हूँ फिर उसमें सभी को सम्मलित होते महसूस कर लेता हूँ। आम आदमी का जीवन इतना सहज नहीं है जितना दिखाई देता है उसके अंदर एक तूफान परिलक्षित होता है। यह तूफान शांत रहता है पर जब भी ज्वार-भाटा आता है तो वह रौद्र रूप ले लेता है। यह रौद्र रूप आनंदातिरेक में भी होता है और वेदना के प्रवाह में भी। कोरोना काल कभी न भूल पाने वाला काल है। इस काल ने अपने आपको आईना दिखाया है किसी को अपना वीभत्स रूप दिखा तो हो सकता है कि किसी को अपना श्रृगांरिक रूप भी दिखा हो। मेरी कहानियों में कोरोना काल के लॉकडाउन की इन वेदनाओं को चित्रित करने का प्रयास किया गया है जिसने दर्द और पीड़ा के साथ अनवांक्षित समझौता किया, जिसने भय और कुरूपता के साथ अपने वर्तमान को दाँव पर लगाया, जिसने धराशाही होती उम्मीदों के महल पर सपनों की कब्रगाह बनाई। अनेक चित्र उकेरे हैं कहानी संग्रह में हर एक चित्र में आपको कोई न कोई छवि दिखाई दे ही जायेगी। कहानी पढ़ते समय आपकी आंखों से गिरने वाली एक जलीय बूंद भी मेरी कहानियों के लिये भावांजलि होगी। “लॉकडाउन” कहानी संग्रह का सृजन तात्कालिक परिस्थितियों का व्यतीत हुआ दर्पण है। “कोरोना निगेटिव” कहानी संग्रह और “लॉकडाउन” कहानी संग्रह आपको बहुत गहराई से मुझसे जोड़ेगा ऐसा मुझे विश्वास है। आपकी प्रतिक्रियाएँ मेरे विश्वास को प्रमाणित करेंगी। बहुत बहुत आभार….
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