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katha sanchay 2 (कथा संचय 2)

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साहित्यकार समाज अपने जीवन की दैनिक दिनचर्या में घटित घटनाओं, अद्भुत संस्मरणों, कुरीतियों एवं अच्छे-बुरे कार्यों को अपने काल्पनिक पात्रों के संग लघु कथा-कहानी गढ़ता है और समाज में क्या अच्छाई है, उसमें वृद्धि हो तथा जो भी बुराई व्याप्त है उसको कैसे मिटाया जा सकता है अथवा समाप्त किया जा सकता है, इन सबका खाका तैयार कर अपने साहित्य सृजन द्वारा प्रस्तुत करता है।
आप सभी को विदित है कि साहित्य एवं राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार हेतु अनुराधा प्रकाशन परिवार द्वारा साझा संकलनों की श्रृंखला प्रारम्भ 2014 में की गई थी जो अपनी निरंतरता बनाए हुए है। लघुकथा-कहानी-संस्मरण विशेष साझा संकलन का प्रथम अंक ‘सृजन सागर’ नाम से प्रकाशित हुआ इसके तीन अंक निकलने के उपरांत फिर एक नए नाम ‘कथा कौमुदि’ से प्रकाशित हुआ तथा यह साझा संकलन ‘कथा संचय’ का दूसरा अंक है जिसमें दिल्ली, मध्यप्रदेश, असम, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड एवं गुजरात के साहित्यकारों ने अपनी रचनात्मक भागीदारी की है, सभी का स्वागत एवं अभिनन्दन ।
साझा संकलन ‘कथा संचय’ में दिए आशीर्वाद हेतु आदरणीय डॉ. सरोजनी प्रीतम जी को आभार एवं साधुवाद, उन्होंने सदैव अपना वरदहस्त अनुराधा प्रकाशन परिवार पर रखा है।

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साहित्यकार समाज अपने जीवन की दैनिक दिनचर्या में घटित घटनाओं, अद्भुत संस्मरणों, कुरीतियों एवं अच्छे-बुरे कार्यों को अपने काल्पनिक पात्रों के संग लघु कथा-कहानी गढ़ता है और समाज में क्या अच्छाई है, उसमें वृद्धि हो तथा जो भी बुराई व्याप्त है उसको कैसे मिटाया जा सकता है अथवा समाप्त किया जा सकता है, इन सबका खाका तैयार कर अपने साहित्य सृजन द्वारा प्रस्तुत करता है।
आप सभी को विदित है कि साहित्य एवं राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार हेतु अनुराधा प्रकाशन परिवार द्वारा साझा संकलनों की श्रृंखला प्रारम्भ 2014 में की गई थी जो अपनी निरंतरता बनाए हुए है। लघुकथा-कहानी-संस्मरण विशेष साझा संकलन का प्रथम अंक ‘सृजन सागर’ नाम से प्रकाशित हुआ इसके तीन अंक निकलने के उपरांत फिर एक नए नाम ‘कथा कौमुदि’ से प्रकाशित हुआ तथा यह साझा संकलन ‘कथा संचय’ का दूसरा अंक है जिसमें दिल्ली, मध्यप्रदेश, असम, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड एवं गुजरात के साहित्यकारों ने अपनी रचनात्मक भागीदारी की है, सभी का स्वागत एवं अभिनन्दन ।
साझा संकलन ‘कथा संचय’ में दिए आशीर्वाद हेतु आदरणीय डॉ. सरोजनी प्रीतम जी को आभार एवं साधुवाद, उन्होंने सदैव अपना वरदहस्त अनुराधा प्रकाशन परिवार पर रखा है।

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