Description
आप सभी के समक्ष मेरी कविताओं का प्रथम संग्रह ‘ज्योति-कलश’ प्रस्तुत है। कविता संग्रह को प्रकाशित करने के पीछे मेरे परिवार के सदस्यों व स्नेही मित्रों का स्नेहपूर्ण आग्रह रहा है और साथ में यह विचार भी कि समाज व वातावरण से जो कुछ भी लिया है उसे बिना किसी महत्वाकांक्षा के उसी की सार्थकता हेतु लौटा देना चाहिये ।
पढ़ने लिखने का शौक मुझे अपने विद्यार्थी जीवन से ही रहा है। विवाह के पश्चात् पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए यह शौक कहीं दब सा गया था। कुछ वर्षों पूर्व मैंने हौले से लेखन के क्षेत्र में कदम रखा। कुछ साहित्यिक पटलों से जुड़कर रचनाएँ भेजने का क्रम आरंभ हुआ। फिर समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में रचनाएँ छपने लगी। लेखन के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
समाज में जो भी घटित होता है उसे देखने का साहित्यकार का अपना एक अलग ही नजरिया होता है। वह बारीकी से उन घटनाओं का वर्णन करता है। यदि वह कोई समस्या देखता है तो अपने सृजन के माध्यम से वह उसका समाधान प्रस्तुत करने की चेष्टा करता है। मेरी भी अधिकतर रचनाएँ अपने आसपास की घटनाओं से प्रभावित हैं, जिनका वर्णन करते हुए अंत में कुछ न कुछ सकारात्मक संदेश देने की चेष्टा मैनें की है।
मैं अपनी प्रिय सखी रूनु बरूवा जी का तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे लिखने के लिये सदैव प्रोत्साहित किया। मैं उन सभी विद्वान लेखकों, साहित्यकारों, पाठकों शुभचिंतकों की आभारी हूँ, जिन्होंने अपनी अमूल्य टिप्पणियों द्वारा मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया, मेरी त्रुटियों को सुधारा और बहुत से सुझाव दिए जिनकी बदौलत मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। उनकी अमूल्य समीक्षाओं से मेरे लेखन में सुधार आया और मेरे लेखन व व्यक्तित्व का विकास हुआ।
आशा करती हूँ कि मेरे इस प्रथम प्रयास को आप सभी का आशीर्वाद मिलेगा ।
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