Description
गाँव की सूक्ष्म संवेदना को सार्थक ढंग से अपनी कृतियों में सहेज कर रखने वाले सर्जक साहित्यकार चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी ‘ का यूँ तो यह प्रथम काव्य संग्रह है परन्तु अनुरागी जी का रचना संसार बहुत व्यापक है व देश भर में अपने गीतों, मुक्तकों और कर्णप्रिय गायन के लिए पहचाने जाते हैं, कई गणमान्य साहित्यिक संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों पर रहें हैं। ‘अनुरागी ‘ जी गीति-काव्य के अद्भुत मर्मज्ञ हैं। वे उस दौर से हैं जिस दौर में रसानुभूति में पगकर छंदबद्ध काव्य बेधड़क लिखे जाते थे। इनके गीतों में गज़ब की शालीनता है, सोलह आना सौहार्द है, गाँव से सैकड़ों किलोमीटर दूर शहर में रहने को विवश प्रवासियों की पीड़ा को निजी अनुभूति के माध्यम से कवि अनुरागी ने जो लिखा है उससे गाँव की सोंधी मिट्टी की ख़ुशबू आती है। गीतकार अनुरागी का यह प्रथम काव्य संग्रह सुन्दर, सुललित एवं सुपाठ्य रचनाओं का एक पुष्प गुच्छ है जो अपनी अलग सुगंध से हिंदी साहित्य को समृद्ध एवं सुवासित कर सुधी पाठकों को आह्लादित और आनन्दित करता रहेगा।
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