Description
छन्दप्रसून काव्य संग्रह की अधिकांशतः कविताएं आज से पाँच छह दशक पहले के साहित्य का परिचय देती हुई दिखीं। इन्हें आप छायावाद से प्रभावित कविताएं भी कह सकते हैं। उस काल की कविताओं में पाठक कविता की धार के साथ बहता हुआ सा प्रतीत होता था। भले ही आधुनिक कविताओं में विविधताएँ अवश्य आ गई हैं, लेकिन वर्तमान में सामान्यतः कविताएं पाठकों को बांधने में पूर्णतः सक्षम नहीं पाई जाती हैं। श्री बलूनी जी की कविताओं में आपको उन सारे अभावों की कमी नहीं मिलेंगी।
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