Description
वर्तमान परिवेश में प्रत्येक मनुष्य कहीं ना कहीं तनावग्रस्त है। तनाव के साथ ही मनुष्य को अज्ञात कारणों से भय का सामना करना पड़ता है। हमारे जीवन के दो अमूल्य पाठ हैं… पहला तनाव, तो दूसरा भय। तनाव मनुष्य की विचारशीलता पर प्रभाव डालते हुए उसकी सोचने समझने की क्षमता को लील जाता है एवं मनुष्य को पशु के समान अविवेकशील बना देता है…. वहीं दूसरा भय…. जिसके जीवन में शामिल होते ही मनुष्य का जीवन नर्क के समान, दुर्बल और कायरतापूर्ण जीवन जीने के लिये मजबूर कर देता है। किसी भी प्रकार के तनाव और भय को कम करने के लिये बहुत जरूरी है कि मनुष्य बहुत ही समझदारी तथा शान्ति के साथ सोच विचार करते हुए जीवन व्यतीत करे। मनुष्य के मन में तनाव कब प्रवेश करता है, कब भय के रूप में परिवर्तित हो जाता है इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है…. प्रस्तुत पुस्तक वर्तमान के तनावग्रस्त जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए तनाव तथा उससे उत्पन्न भय का सामना करके स्वयं को तनावमुक्त जीवन व्यतीत कैसे करें पर सारगर्भित प्रकाश डालती है।
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