Bahari Log by Raji Seth, Ed. Tarsem Gujral

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राजी सेठ मानवीय संवेदन को समर्पित कथाकार हैं। वे कथा के रचाव में इतिहास का इतिवृत्त या उत्खनन प्रस्तुत नहीं करतीं, घटनाओं/दुर्घटनाओं के दबाव में मनुष्य जाति के भीतरी बदलाव का साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। समय को शब्दशः जीने की चेष्टा में रत वे अपनी कथा में सृजनात्मक स्रोतों का उपयोग मनुष्य जीवन के गहरे अनुभव को समायोजित कर साहित्य को महत्ता, मौलिकता और गहराई प्रदान करती हैं।

‘बाहरी लोग’ कहानी-संग्रह में दो तरह की कहानियाँ हैं। पहली, विभाजन-केन्द्रित कहानियाँ। राजी सेठ ने व्यक्तिगत रूप से इस विभाजन को झेला है। ‘मुलाक़ात’, ‘रुको, इंतज़ार हुसैन’, ‘बाहरी लोग’, ‘किसका इतिहास’ कहानियों में यह साया काफ़ी गहरा है। संवेदनशील भी।

दूसरा पक्ष दो अलग संस्कृतियों के टकराव तथा श्रेय और प्रेय का है। पश्चि‍म ने सदा रंग, रूप, शौर्य, पराक्रम, बुद्धि और सभ्यता में अपने आपको श्रेष्ठ माना है। भारत गहन सांस्कृतिकबोध, नैतिक सम्पदा का वस्तु शोषि‍त और निर्धन बना दिया गया देश रहा है परन्तु श्रेय और प्रेय के दरवाज़े बन्द नहीं रहे। राजी सेठ ने इस सम्बन्ध में आत्मीयता से कुछ प्रामाणि‍क चित्र कहानियों में उकेरे हैं, प्रश्न खड़े किए हैं। ‘किसे कहते हैं विदेश’ और लम्बी प्रभावशाली कहानी ‘मार्था का देश’ इसी तरह की सार्थक कहानियाँ हैं जिनमें लेखकीय कुशलता का पता चलता है। मूल्यों का भी।

एक प्रभावशाली कहानी-संग्रह।

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Weight 155 g
Dimensions 22 × 14 × 1 cm
Book Author

,

Publisher

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Pages

176

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