Description
मेरी सास राबर्ट की सौतेली माँ थीं, पर मुझे बहुत ज्यादा मानती थीं अपनी बेटी की तरह। अभय और बाकी बच्चों के जन्म के समय भी उन्होंने मेरी बहुत सेवा सुश्रूषा की थी। परसौती की पूरी अवधि में, बिल्कुल अनपढ़ होते हुए भी उन्होंने अपने देसी तरीके से मेरे खान पान का बहुत ख्याल रखा था। रोज दिन में दो बार सरसों के गर्म तेल की मालिश से मुझे और मेरे नवजात बच्चे को तर रखती थीं …..रात होती तो स्नेहसिक्त स्वर में पास आकर धीरे से कान में फुसफुसाती हुई कहतीं, “ले मइयां …..पी ले तनी सा…..तुम्हारा सरीर भी गरम रही ….ताकत भी मिली अऊर नींद भी बढ़िया आईं ….”। कहती हुई मुझे स्टील के गिलास में भर कर रोज रात को देसी दारू पिलातीं। उनके स्नेह जताने के अनेक तरीकों में से एक पसंदीदा तरीका यह भी था।
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