Description
बाबासाहब विश्व की ऐसी विभूति हैं, जिन पर दशकों से साल भर कोई न कोई किताब आती ही रहती है । उनके जीवन और विचारों के तमाम पहलुओं पर रोशनी डालने वाले लेखकों की कमी नहीं है । इस नाते बहुत से पाठकों के दिल में यह बात उठ सकती है, एक और किताब किस लिए । इसमें ऐसा क्या खास तथ्य है कि पाठक इसे पढ़ें ही । हर रचना का एक महत्व होता है और हर लेखक की अपनी दृष्टि होती है । लेकिन इस रचना के पीछे मेरी एक अलग सोच और नज़रिया रहा है । इस पुस्तक को पढ़ कर पाठक मेरे किए गए श्रम का आकलन स्वतः कर सकते हैं ।
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