Description
जीवन का क्या अर्थ ? निःसन्देह और निःसन्देह ‘जीवन का क्या अर्थ?’ डॉ. ओम् जोशी का छठा अनूठा, समर्थ और असाधारण दोहा संग्रह है । इसमें भारतीय सेना के वीरोचित कर्म, प्रकृति वर्णन, मानवता का उद्घोष, पर्यावरण सुरक्षा, कृषक आन्दोलन, कालाबाज़ारी आदि के ऐसे मार्मिक ‘शब्दचित्र’ प्रकल्पित हैं जो पाठकों को यह सोचने के लिए स्वतः ही विवश कर देते हैं कि वर्तमान में जीवन का क्या यही अर्थ रह गया है ? ‘जीवन का क्या अर्थ ?’ इस दोहा संग्रह में तीन सौ एक प्रासंगिक दोहे प्रकल्पित हैं । दो समसामयिक दोहे देखिए – कलियुग का यह सत्यतः, कितना विकट प्रकोप ! सदाचार का सर्वतः, अनायास ही लोप । । … महाधूर्त जो अतिकुटिल, सत्य, न्याय से हीन । वे अपने ही क्षेत्र में धर्म, कर्म में लीन । । डॉ. ओम् जोशी ने जीवन का वास्तविक अर्थ क्या है, इस सन्दर्भ को एक दोहे में उल्लिखित कर दिया है –
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