Photo Uncle by Prem Bhardwaj

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प्रेम भारद्वाज का कहानीकार मूलत: काव्यात्मक संवेदना से समृद्ध है। वे कहानी को न दूर बैठकर देखते हैं और न फ़ासला रखकर सुनाते हैं। महसूस करते हुए वे अपने समूचे वजूद के साथ उसमें डूब जाते हैं, और जब अपने कथ्य को लेकर पाठक के सामने उपस्थित होते हैं तो जैसे अपने पात्रों की पीड़ा को आपादमस्तक ओढ़कर स्वयं को ही प्रस्तुत करते हैं।

इस संग्रह में शामिल लगभग सभी कहानियाँ प्रेम भारद्वाज के बतौर एक संवेदनशील रचनाकार महसूस किए गए दर्द की छटपटाहट-भरी अभिव्यक्ति हैं। वह दर्द जो उन्होंने अपने आसपास, अपने समाज में, अपनी पढ़ी-लिखी और सरोकारों का व्यापार करनेवाली दुनिया में देखे और जाने हैं।

संकलन की शीर्षक कथा ‘फोटो अंकल’ को इस समय के कला-साहित्य और उसके समाज के अन्दरूनी अन्तर्विरोध के पोस्टमार्टम की तरह पढ़ा जा सकता है। कला अपने विषय का उपभोग कर अमर हो जाए, या विषय की विडम्बनाओं का हिस्सा होकर विलुप्त हो जाए, यह सवाल हमेशा से रचनाकार-मन को मथता रहा है। इस कहानी में लेखक ने इसे अपने आपसे एक बहस की तरह उठाया है, और पुन: उस घाव को कुरेद दिया है जो सच्चे कलाकार को अपनी ही निगाह में अपराधी किए रहता है।

संग्रह में शामिल अन्य कहानियाँ भी आज के समाज को कई-कई कोणों से देखने और दिखाने का सफल उद्यम करती हैं।

 

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