Management Seekhen Mahatma Se by Vijay Joshi

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प्रबन्धन आज बाक़ायदा एक शिक्षा-सरणी है जिसके तहत विद्यार्थी को कुछ निश्चित और सीमित अर्थों में प्रबन्धक के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। शायद इसी कारण आज हमारे कॉरपोरेट जगत में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के होलिस्टक विकास की कोई जगह नहीं रही।

यह पुस्तक प्रबन्धन को उन आधारभूत नैतिक मूल्यों से जोड़ती है जो व्यावसायिक तथा व्यावहारिक कार्यों को भी विराटतर मानवीय हित के बड़े धरातल पर ले जा सकते हैं और इसके लिए इसमें महात्मा गांधी के जीवन तथा विचारों को आधार बनाया गया है।

हम सभी जानते हैं कि गांधी स्वयं एक कुशल प्रबन्धक थे, और उन्होंने अपनी नेतृत्व-क्षमता से अकल्पनीय जनान्दोलनों को सम्भव बनाया। और इसके लिए उन्होंने कुछ ऐसे सूत्रों को अपने दैनिक जीवन में अपनाया, जिन्हें लोग हमेशा से जानते थे लेकिन उन पर उस निष्ठा तथा सच्चाई के साथ अमल नहीं करते थे जैसा महात्मा ने किया।

झूठ से भरसक दूरी, अपनी कमियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारना, वचनबद्धता, हर काम को समान भाव से देखना, हर किसी से सीखने को तैयार रहना, श्रम का सम्मान करना, समय के मूल्य को समझना, और जब ज़रूरत हो अकेले चलने की हिम्मत जुटाना—यह कुछ बहुत साधारण मूल्य हैं जिन्हें बापू ने अपनाया। और ये एक अनूठे नेता के रूप में सबसे ज्‍़यादा चमके।

यह पुस्तक बताती है कि यही बातें व्यवहार में लेकर हम आज अपने प्रबन्धनीय कौशल को प्रभावशाली बना सकते हैं।

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