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Lokayat by Devi Prasad Chattopadhyay, Tr. Brij Sharma

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यह पुस्तक प्राचीन भारतीय भौतिकवाद की मार्क्सवादी व्याख्या प्रस्तुत करती है। पाश्चात्य व्याख्याताओं ने भारतीय दर्शन के इस सशक्त पक्ष की प्रायः उपेक्षा की है। उनकी उपनिवेशवादी इतिहास-दृष्टि इस बात को बराबर रेखांकित करती रही है कि भारतीय दर्शन की मूल चेतना पारलौकिक और आध्यात्मिक है। उसमें जीवन तथा जगत के यथार्थ को महत्‍त्‍वहीन माना गया है अथवा उसकी उपेक्षा की गई है।

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने प्राचीन ग्रन्‍थों, पुरातात्त्विक और नृतत्त्‍वशास्त्रीय प्रमाणों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर इस बात का खंडन किया है। उनका कहना है कि प्राचीन भारत में लौकिकवाद और अलौकिकवाद, दोनों ही मौजूद थे। राजसत्ता के उदय के बाद शासक वर्ग ने लौकिक चिन्‍तन को अपने स्वार्थ के लिए नेपथ्य में डाल दिया तथा पारलौकिक चिन्‍तन को बढ़ावा दिया और भारतीय चिन्‍तन की एकमात्र धारा के रूप में उसे प्रतिष्ठा दिलाई। इसलिए प्राचीन भारत के लौकिक चिन्‍तन को समझे बिना हमारी इतिहास-दृष्टि हमेशा धुँधली रहेगी।

यह पुस्तक इतिहास, दर्शन, भारतीय साहित्य और संस्कृति में दिलचस्पी रखनेवाले जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से उपयोगी है। इस पुस्तक का विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

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SKU: 9788126709441 Category: Tag:
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Weight 600 g
Dimensions 24 × 16 × 4 cm
Book Author

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Pages

551

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