Lachhami Jaggar by Harihar Vaishnav
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Looking for coupon codes? See ongoing discounts‘लछमी जगार’ की कथा की भाव-भूमि का सम्बन्ध धान उत्पादन-प्रक्रिया के विस्तारित प्रसंग से है, अत: इसका गठन उसी के अनुरूप है। पाठक इस तथ्य की स्वत: पड़ताल के लिए आमंत्रित हैं। निम्न प्रतीकों की जानकारी जो हल्बी भाषी समुदाय के लिए तो स्पष्ट है, किन्तु उनसे इतर पाठकों के लिए इस कथा के सामान्य परिदृश्य को समझने हेतु आवश्यक जान पड़ती है : मेंग का अर्थ वर्षा है तो माहालखी हैं धान और इक्कीस रानियाँ हैं विभिन्न दलहनी-तिलहनी और अन्य मोटे अनाज। इसी तरह गोपपुर है खेत। इस कथा के नायक नरायन राजा की तुलना सूर्य से की जा सकती है जबकि माहादेव (शिव) को बीज-पुरुष के रूप में देखना चाहिए।
यहाँ यह जानना भी आवश्यक होगा कि दण्डकारण्य का पठार धान उत्पादक पूर्व एवं गौण अन्न उत्पादक पश्चिम की सीमा पर स्थित है। गौण अन्न का उत्पादन पहाड़ी भूमि पर तो किया जा सकता है, किन्तु धान के उत्पादन के लिए सम एवं सिंचित भू-भाग का होना आवश्यक है। इसलिए धान उत्पादन ने अपने-आपको मुख्य भूमि में स्थापित किया, जबकि गौण अन्न गाँव की सीमा पर चले गए। नरायन राजा का विवाह पहले गौण खाद्यान्नों (इक्कीस रानियों) के साथ हुआ और उसके बाद धान (माहालखी) के साथ। मिथकीय दृष्टि से यह कथा इस क्षेत्र का जनपदीय इतिहास सिद्ध होती है। और जैसे ही हम कथा के इस बिन्दु को आत्मसात् कर लेते हैं, वैसे ही इस कथा में आए पत्नी-पीड़क प्रसंगों और धान की मिंजाई के प्रसंग के बीच के अन्तर्सम्बन्धों को भी पकड़ने में सफल हो सकते हैं।
इस महाकाव्य का आयोजन बस्तर की महिलाओं के लिए एक पवित्र अनुष्ठान है। वस्तुत: ‘लछमी जगार’ चर्चा की नहीं अपितु महसूस करने की चीज़ है। यह महसूसना इसके भीतर के विभिन्न संस्कारों और उनसे जुड़े विश्वास, जो विभिन्न संस्कारों में सन्निहित भिन्न-भिन्न भूमिकाओं में देखे जा सकते हैं, के साथ एकात्म होकर सहभागी होने में है। कथा में वर्णित कुछ एक घटनाओं का सजीव चित्रण उनकी अभिनय प्रस्तुति के साथ किया जाता है, जिनकी मुख्य भूमिकाओं में स्वयं आयोजक ही होते हैं। इन अनुष्ठानों/संस्कारों को मुख्य एवं गौण, दो श्रेणियों में बाँटकर देखा जा सकता है। भिमा-विवाह (अध्याय 16), आम-विवाह (अध्याय 21) एवं माहालखी का विवाह। (अध्याय 32) इस महाकाव्य की प्रमुख घटनाएँ हैं जो विपुल जन-समुदाय को आकर्षित करती हैं।
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Weight | 1200 g |
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Dimensions | 22 × 15 × 5 cm |
Book Author | |
Publisher | |
Language | |
Pages | 992 |
Binding | |
Condition |
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- Store Name: Rajkamal Prakashan
- Seller: Rajkamal Prakashan
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